Sadhana Shahi

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शैलपुत्री भजन09-Apr-2024

शैलपुत्री (चैत्र, शुक्ल, प्रतिपदा)

नवरात्रि का प्रथम है वार, घट स्थापना करें भक्त परिवार। अखंड ज्योति घर-घर में जलती , नवो दिन धूम-धाम है मनती। माॅं के नौ रूपों को, पूजे जग संसार, माॅं की महिमा अपरंपार।

प्रथम दिवस शैलपुत्री जी आईं , पर्वतराज हिमालय घर जाईं। जो भक्त है इनका पूजन करता, मनोकामना पूर्ण है होता। धन -धान्य से भरदे माॅं घर -द्वार , माॅं की महिमा अपरंपार।

पर्वतराज के घर में जन्मी, शैलपुत्री है नाम पड़ा। इनको जो नर हिय से पूजे, ना कभी विपदा मध्य खड़ा। शैल से इनका जन्म हुआ है, शैल सा ना व्यवहार। दुख दरिद्रता ये हर लेती , देती सुखों भरा संसार , माॅं की महिमा अपरंपार।

वृषभ आरूढ़ ये देवी आतीं, उमा नाम से जानी जातीं। हेमवती उपनिषद हैं कहते, शक्ति अनंत हैं इसमें बसते। । चॅंवर डोलाऊंँ माॅं के द्वार, माॅं की महिमा अपरंपार।

दाएँहाथ में त्रिशूल विराजे, बाएँ हाथ कमल- पुष्प साजे। नवदुर्गा में प्रथम यह दुर्गा, रोली; मोली ; मेंहदी लाल । स्थित चक्र औ मूलाधार, माॅं की महिमा अपरंपार।

चलो मैया के दरबार चलें हम, माॅं के आगे नतमस्तक हों। सेवा करलें हम दिन -रात, । कृपा की कर दे माॅं बरसात। प्रेम से कर लो भक्तों जय -जयकार , माॅं की महिमा अपरंपार।

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7 Comments

Mohammed urooj khan

16-Apr-2024 11:15 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Reyaan

11-Apr-2024 06:13 PM

Nice

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Shnaya

11-Apr-2024 04:40 PM

V nice

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